सूर्य को ग्रहों का राजा तो मंगल को सेनापति की संज्ञा दी गई है हमारे ज्योतिष शास्त्र में,मंगल के सूर्य,चन्द्र,और गुरु मित्र तो शुक्र,शनि समता का भाव लिए हुए साथ हीं बुध शत्रुवत भाव से मंगल का साथ देते हैं।इन ग्रहों की किस भाव में उपस्थिति कैसे प्रभावित कर रही है आपकी राशि को यह मेष राशिस्थ मंगल के आधार पर विवेचित किया जाएगा।।मंगल शुभ स्थितियों में शुभ तो विषम स्थितियों में रक्त,उच्चरक्तचाप,चर्मरोग,कुष्ठ रोग,हड्डी संबंधी रोग और पित्त ज्वर आदि विकार देते हैं।
मंगल का मेष राशि में संचार जो कि 24 दिसंबर 2020 को हो रहा है और यह 22 फरवरी 2021 तक रहेगा | आइए जानते हैं की यह गोचर सभी बारह राशियों को किस प्रकार से प्रभावित करेगा-
चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ
मेष-मेष राशि एवं लग्न वाले जातकों के लिए लग्नेश एवं अष्टमेश मंगल की गोचर से लग्न में उपस्थिति के परिणाम स्वरूप इस अवधि में कार्य में मनोनुकूल सफलता की प्राप्ति नहीं होगी। जिसके कारण मन भीतर ही भीतर शोकाकुल या चिंता युक्त रहेगा। अपने सहयोगी कुटुंम्बियो से विरोध का सामना करना पड़ेगा। निकट संबंधी का वियोग भी हो सकता है। रक्त से संबंधित रोग तथा पित्त जनित रोग से शारीरिक कष्ट हो सकता है। ज्वर एवं उषणता पैदा करने वाले रोग से भी शारीरिक कष्ट हो सकता है।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस अवधि में बवासीर आदि गुदा रोग से कष्ट हो सकता है। मन अशांत रहेगा। चोट आदि से शारीरिक कष्ट हो सकता है। त्वचा से संबंधित रोग से कष्ट हो सकता है। भूमि मकान आदि में व्यय हो सकता है।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में संचित धन में वृद्धि होगी। परंतु को कुटुमिबंयो से विरोध का सामना करना पड़ेगा। जीवनसाथी को ज्वर रक्त ,कफ से संबंधित रोग से कष्ट हो सकता है। आपस में समझ की कमी के कारण दांपत्य जीवन में कटुता आ सकती है। बाहरी स्थान के व्यवसाय से लाभ होगा। लंबी यात्रा हो सकती है।
16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इस अवधि में संतान से वैचारिक मतभेद हो सकता है। परंतु प्रशासनिक क्षेत्र एवं सरकारी कार्य में सफलता प्राप्त होगी। क्रोध पर नियंत्रण रखें। इस अवधि में क्रोध के कारण बने हुए काम भी बिगड़ सकते है।
इ, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वु, वे, वो
वृष- व्ययेश एवं सप्तमेश मंगल की गोचर से बारहवें भाव में उपस्थिति के परिणाम स्वरूप इस अवधि में व्यय की अधिकता रहेगी। बाहरी स्थान से संबंधित व्यवसाय से लाभ हो सकता है। यात्रा का योग बन रहा है। यात्रा में व्यय की अधिकता रहेगी। स्वास्थ्य भी अनुकूल नहीं रहेगा। उष्णता एवं ताप से संबंधित रोग से शारीरिक कष्ट हो सकता है। नेत्र विकार से भी कष्ट हो सकता है। विद्या के क्षेत्र में हानि हो सकती है। संतान से वैचारिक मतभेद रहेगा।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस अवधि में विवाद के कारण अपव्यय हो सकता है। संतान को भी शारीरिक कष्ट हो सकता है। घर से या परिवार से दूर रहना पड़ेगा। मन में अकारण चिंता रहेगी।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में शत्ओ मे वृद्धि हो सकती है। स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा। जीवनसाथी से विवाद हो सकता है। जिसके कारण दांपत्य जीवन कलहपूर्ण रहेगा। भाई बंधुओं तथा मित्रों से मतभेद रहेगा। छोटे भाई बहन को शारीरिक कष्ट हो सकता है।
16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इस अवधि में निर्माणकारी कार्य में व्यय होगा। नेत्र विकार से शारीरिक कष्ट का योग है। ज्वर आदि से शारीरिक कष्ट हो सकता है।
का, की, कु, घ, ड, छ, के, को, हा
मिथुन- आयेश एंव षष्ठेश मंगल की गोचर से ग्यारहवे भाव में उपस्थिति के परिणामस्वरूप इस अवधि में शरीर स्वस्थ रहेगा। सभी अरिष्टो का नाश होगा। आरोग्यता की प्राप्ति होगी। आय में आशातीत वृद्धि होगी। शत्रु पराजित होंगे। विद्या के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। संतान का सुख एवं सहयोग प्राप्त होगा। भूमि एवं मकान आदि में वृद्धि होगी। भूमि एवं भूमि से संबंधित व्यवसाय से भी आय की प्राप्ति होगी। प्रत्येक कार्य में सफलता की प्राप्ति होगी।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस अवधि मे नये भूमि वाहन एवं मकान आदि का योग बन रहा है। भूमि आदि से लाभ प्राप्ति के लिए यह समय उपयुक्त है। संतान सुख की प्राप्ति होगी। संतान से संबंधित शुभ संदेश की प्राप्ति होगी।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में विद्या या कार्य क्षेत्र से संबंधित कार्य हेतु लंबी यात्रा हो सकती है। बाहरी स्थानों से आय में वृद्धि होगी। वाहन आदि का पूर्ण सुख प्राप्त होगा। भोग विलास में व्यय की अधिकता रहेगी। परंतु विभिन्न स्रोत से आय की प्राप्ति के कारण आय व्यय की अपेक्षा अधिक रहेगा। 17 मार्च से 16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इस अवधि में पराक्रम में वृद्धि होगी। भाई बहन का सुख एवं सहयोग प्राप्त होगा। सरकारी कार्य में सफलता प्राप्त होगी।
ही, ही, हे, हो, डा डी, डू, डे, डो
कर्क- दशमेश एवं पंचमेश मंगल की गोचर से दशम भाव में उपस्थिति के परिणामस्वरुप सामर्थ्य के अनुसार किए गए कार्य में सफलता की प्राप्ति होगी। परंतु ऐसा कार्य जो नहीं करना चाहिए या जो कार्य क्षमता से अधिक है उसे करने की चेष्टा से कार्य में हानि होगी। पिता से संबंधित कार्य में हानि हो सकती है। माता को रक्त एवं ज्वर ताप आदि से संबंधित रोग से शारीरिक कष्ट हो सकता है। संतान से भी वैचारिक मतभेद हो सकता है। किसी कारणवश घर के बाहर रहना पड़ सकता है। तामसिक प्रवृत्ति की वृद्धि हो सकती है।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस अवधि में उदर विकार से शारीरिक कष्ट हो सकता है। दुश्चेष्टा के कारण कार्य में हानि हो सकती है। संतान को कष्ट एवं विद्या के क्षेत्र में हानि होगी।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में व्यय की अधिकता रहेगी। भोग विलास में अधिक व्यय के कारण धन हानि हो सकती है। पिता को शारीरिक कष्ट हो सकता है। आलस्य की अधिकता रहेगी।
16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इस अवधि में क्रोध की अधिकता के कारण कार्यक्षेत्र में तथा संचित धन में हानि हो सकती है। कुटुंब से विरोध का सामना करना पड़ेगा। वाणी एवं क्रोध पर नियंत्रण रखने से लाभ होगा। चोट आदि से शारीरिक कष्ट हो सकता है।
मा, मी,मू,मे,मो,टा,टी,टू,टे
सिंह- सिंह राशि एवं लग्न वाले जातकों के लिए नवमेश एवं चतर्थेश मंगल की गोचर से नवम भाव में उपस्थिति के परिणामस्वरूप इस अवधि में धार्मिक कार्य में रूचि बढ़ेगी। भाग्य का सुख प्राप्त होगा। परंतु अति आत्मविश्वास के कारण या अहंकार के कारण कार्यक्षेत्र में हानि होगी तथा कार्य में असफलता की प्राप्ति होगी। अतः इस अवधि में अहंकार से सावधान रहें। उच्च पदाधिकारी तथा अपने से बड़ों का मान सम्मान करने से विशेष लाभ होगा। परंतु इनसे विवाद एवं उनका अपमान करने से पराजय, दीनता एवं अर्थ नाश होगा। इस अवधि में उच्च पदाधिकारियों से विवाद ना करें तथा बड़ों का सम्मान करें।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस अवधि में पट्टों के दर्द से शारीरिक पीड़ा हो सकती है। सूखा रोग से भी कष्ट हो सकता है। भाई बंधुओं से अनबन रहेगी। धार्मिक कार्य में व्यय होगा तथा धर्म के विरूध्द आचरण करेंगे।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में भूमि से संबंधित विवाद के कारण भाई एवं कुटुंब से अनबन होगी। धातु रोग के कारण शरीर निर्बल हो सकता है।
16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इस अवधि में कार्यक्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होगी। शरीर स्वस्थ रहेगा। भूमि वाहन एवं मकान आदि का सुख प्राप्त होगा।व्यय की अधिकता रहेगी। पिता को शारीरिक कष्ट हो सकता है।
टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
कन्या- कन्या राशि और लग्न वाले जातकों के लिए अष्टमेश एवं तृतीयेश मंगल की गोचर से अष्टम भाव में उपस्थिति के परिणाम स्वरूप इस अवधि में रक्त से संबंधित रोग एवं चोट आदि के कारण शारीरिक कष्ट हो सकता है। गुर्दा एवं नेत्र से संबंधित रोग से भी शारीरिक कष्ट हो सकता है। कुटुंब में विवाद हो सकता है। जुआ या शेयर मार्केट में धन लगाने से आकस्मिक धन हानि हो सकती है। पराक्रम में हानि होगी। भाग्य का पूर्ण सुख प्राप्त नहीं होगा। जिसके कारण कठिन परिश्रम के बावजूद कार्य में सफलता की प्राप्ति नहीं होगी।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस अवधि में बवासीर एवं गुदा रोग से कष्ट हो सकता है। दांपत्य जीवन में कटुता रहेगी। जीवनसाथी को शारीरिक कष्ट हो सकता है। संचित धन में हानि हो सकती है।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में पिता को शारीरिक कष्ट हो सकता है तथा आलस्य के कारण कार्य में हानि होगी। अतः आलस्य से सावधान रहें। ताप एवं कफ जनित रोग से शारीरिक कष्ट हो सकता है।
16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इस अवधि में व्यय की अधिकता रहेगी। मान-सम्मान की हानि हो सकती है। सरकारी कर्मचारियों से विवाद के कारण भी कार्यक्षेत्र में हानि हो सकती है। ज्वर एवं नेत्र विकार से कष्ट हो सकता है।
रा, री, रु, रे, रो, ता, ती, तू, ते
तुला- तुला लग्न एवं राशि वाले जातकों के लिए सप्तमेश एवं द्वितीयेश मंगल की गोचर से सप्तम भाव में उपस्थिति के परिणाम स्वरूप इस अवधि में अपनी स्त्री पति से कलह रहेगा। दांपत्य जीवन में कलह के कारण मन अशांत रहेगा। स्वजनों को भी मानसिक कष्ट हो सकता है। नेत्र एवं उदर विकार से कष्ट हो सकता है। कार्यक्षेत्र में हानि हो सकती है। पिता को भी रक्त एवं हड्डी से संबंधित रोग से कष्ट हो सकता है। स्वास्थ्य भी अनुकूल नहीं रहेगा। रक्त एवं हड्डी से संबंधित रोग से कष्ट हो सकता है। व्यवसाय के माध्यम से संचित धन में वृद्धि होगी।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा। परंतु जीवनसाथी को शारीरिक कष्ट हो सकता है। चोट आदि का भय रहेगा। स्वभाव में क्रोध की अधिकता रहेगी।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। व्यवसाय के माध्यम से संचित धन में वृद्धि होगी। परंतु स्वास्थ्य अनुकूल नहीं रहेगा। कुटुम्ब में वैमनस्यता रहेगी। इस अवधि में किसी को दिया हुआ धन शीघ्र से प्राप्त नहीं होगा। शेयर बाजार में निवेश करने से हानि होगी।
16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इस अवधि में ज्वर एवं रक्त से संबंधित रोग से शारीरिक कष्ट होगा। चोट आदि से भी शारीरिक कष्ट हो सकता है। व्यवसाय के द्वारा आय की प्राप्ति होगी या सरकारी क्षेत्र से आय में वृद्धि होगी।
तो,ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
वृश्चिक- वृश्चिक लग्न एवं राशि वाले जातकों के लिए षष्ठेश एवं लग्नेश मंगल की गोचर से छठवें भाव में उपस्थिति के परिणाम स्वरूप इस अवधि में शत्रु पराजित होंगे तथा कार्य की सफलता में सहायक सिद्ध होंगे। शारीरिक बल के द्वारा या शारीरिक प्रभाव से शत्रुओं पर सरलता से विजय प्राप्त होगी। शरीर स्वस्थ रहेगा। बाहरी स्थान से भी आय की प्राप्ति होगी। भौतिक सुखों में वृद्धि होगी। सभी कार्य में सफलता प्राप्त होगी। धार्मिक कार्य में मन लगेगा। धार्मिक यात्रा भी हो सकती है।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस अवधि में संतान का सुख एवं सहयोग प्राप्त होगा। जमीन जायदाद में खर्च हो सकता है। ननिहाल पक्ष का सुख एवं सहयोग प्राप्त होगा।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में लंबी यात्रा हो सकती है। भोग विलास में व्यय होगा। दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। बाहरी स्थान से संबंध बनेंगे तथा बाहरी स्थान से आय की प्राप्ति होगी।
16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इस अवधि में नौकरी के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। पदोन्नति का अवसर प्राप्त होगा। पिता या पिता के व्यवसाय से संचित धन में वृद्धि होगी। सरकारी कोष से भी धन की प्राप्ति हो सकती है।
ये, यो, भा, भी, भू, ध, फ, ढ, भे
धनु- धनु लग्न एवं राशि वाले जातकों के लिए पंचमेश एवं व्ययेश मंगल की गोचर से पंचम भाव में उपस्थिति के परिणाम स्वरूप इस अवधि में व्यय की अधिकता रहेगी। विद्या के क्षेत्र में मनोनुकूल सफलता प्राप्त होगी। संतान से दूर रहना पड़ सकता है या संतान से वैचारिक मतभेद रहेगा। स्वास्थ्य अनुकूल नहीं रहेगा। रक्त विकार एवं ज्वर आदि से शारीरिक कष्ट रहेगा। मन में बिना कारण चिंता रहेगी। अपने लोगों से कलह रहेगा। आय का उत्तम स्रोत होते हुए भी व्यय की अधिकता के कारण संचित धन की हानि होगी।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस अवधि में मन में उद्वेग रहेगा अर्थात मन अस्थिर रहेगा। किसी भी कार्य में स्थिरता नहीं रहेगी। चर्म रोग एवं उदर विकार से कष्ट हो सकता है। पाप कर्मों के प्रवृत्ति में विशेष रुचि रहेगी। जिसके कारण मानहानि भी हो सकती है।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में शत्रु की वृद्धि होगी। भोग विलास एवं यात्रा में व्यय होगा। जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है।
16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। भाग्य का सुख प्राप्त होगा तथा कार्य में सफलता प्राप्त होगी। परंतु क्रोध की अधिकता या क्रोध के कारण बने हुए काम भी बिगड़ सकते हैं। सरकारी कर्मचारियों से विवाद के कारण भी हानि हो सकती है।
भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी
मकर- मकर लग्न एवं राशि वाले जातकों के लिए चतुथेश एवं आयेश मंगल की गोचर से चतुर्थ भाव में उपस्थिति के परिणाम स्वरूप इस अवधि में भूमि एवं भूमि से संबंधित वस्तुओं से लाभ होगा। जमीन जायदाद में वृद्धि होगी। परंतु माता-पिता को शारीरिक कष्ट हो सकता है। जिस स्थान पर कार्य कर रहे हैं वह स्थान भी छूट सकता है अर्थात स्थान परिवर्तन हो सकता है। पेट के रोग से शारीरिक कष्ट हो सकता है। भाई बंधुओं के कारण दुख हो सकता है। दांपत्य जीवन में भी कलह हो सकता है। शत्रुओं में वृद्धि होगी।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस अवधि में वायुजनित या रक्त विकार एवं पेट में वण आदि से शारीरिक कष्ट हो सकता है। जनता अर्थात सर्वसाधारण से विरोध का सामना करना पड़ेगा।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में माता के स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहें। ज्वर वं रक्त से संबंधित रोग से कष्ट हो सकता है। मकान एवं वाहन आदि के लिए समय अनुकूल है।
16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इस अवधि में ज्वर एवं रक्त से संबंधित रोग से शारीरिक कष्ट हो सकता है।पिता के व्यवसाय एवं सरकारी कार्य में हानि हो सकती है। विवाद या क्रोध के कारण कार्य क्षेत्र में भी हानि हो सकती है।
गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा
कुम्भ-कुम्भ लग्न एवं राशि वाले जातकों के लिए तृतीयेश एवं दशमेश मंगल की गोचर से तृतीय भाव में उपस्थिति के परिणाम स्वरूप इस अवधि में पराक्रम में वृद्धि होगी। भाग्य का पूर्ण सुख प्राप्त होगा। जिसके प्रभाव से कार्यक्षेत्र में या सरकारी कार्य में मनोनुकूल सफलता की प्राप्ति होगी। प्रशासनिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। पदोन्नति का अवसर प्राप्त होगा। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी। संचित धन में वृद्धि होगी तथा भाई बंधुओं का सहयोग प्राप्त होगा। इस अवधि में जिस कार्य को आरंभ करेंगे सफल होगा।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस अवधि में व्यक्ति प्रभाव में वृद्धि होगी। परंतु छोटे भाई बहन को शारीरिक कष्ट हो सकता है। आध्यात्मिक क्षेत्र में मनोनुकूल सफलता प्राप्त होगी तथा आनंद की प्राप्ति होगी।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में वाहन आदि का उत्तम सुख प्राप्त होगा। भौतिक सुख में वृद्धि होगी। धार्मिक कार्य में रूचि बढ़ेगी। कम परिश्रम से ही कार्य में सफलता की प्राप्ति होगी।
16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इस अवधि में सरकारी कर्मचारियों से सहायता प्राप्त होगी। पिता या पिता के व्यवसाय से आय की प्राप्ति होगी। दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। ज्वर आदि से शारीरिक कष्ट हो सकता है।
दी दू, थ, झ, ञ दे, दो, चा, ची
मीन- मीन लग्न एवं राशि वाले जातकों के लिए द्वितीयेश एवं भाग्येश मंगल की गोचर से द्वितीय भाव में उपस्थिति के परिणाम स्वरूप इस अवधि में वाणी के प्रभाव से ही कार्य में सफलता प्राप्त होगी तथा संचित धन में वृद्धि होगी। कठोर वाणी के कारण बनते हुए कार्य भी बिगड़ जाएंगे। कुटुंब में विवाद के कारण संचित धन में हानि या धन हानि हो सकती है। रक्त एवं हड्डी से संबंधित रोग से शारीरिक कष्ट हो सकता है। दुष्ट लोगों की संगति से बचे इनके कारण धन हानि एवं अपव्यय हो सकता है। उच्च पदाधिकारी एवं बड़े लोगों के सम्मान से कार्य एवं राज्यकीय क्षेत्र में सफलता मिलेगी। परंतु इनसे विवाद के कारण हानि हो सकती है।
24 दिसंबर से 22 जनवरी तक मंगल अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी केतु है। इस अवधि में दांपत्य जीवन में कटुता आ सकती है तथा वायु जनित रोग के कारण शारीरिक कष्ट हो सकता है। गलत संगति के कारण धन हानि हो सकती है।
22 जनवरी से 16 फरवरी तक मंगल भरणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस अवधि में स्वास्थ्य अनुकूल नहीं रहेगा। मित्रों से अनबन हो सकती है। भाई बंधुओं से वैचारिक मतभेद रहेगा।जीवनसाथी को भी शारीरिक कष्ट हो सकता है।
16 फरवरी से 22 फरवरी तक मंगल कृतिका नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इस अवधि में शत्रुओं में वृद्धि होगी। विवाद के कारण अपव्यय भी हो सकता है। नेत्र विकार से कष्ट हो सकता है। पित्त की अधिकता एवं रक्त अल्पता के कारण भी शारीरिक कष्ट हो सकता है।